जयपुर से निकलने वाली चौमू पुलिया से ही मरुप्रदेश के साथ भेदभाव शुरु हो जाते है। राजस्थान में कोई उधोगपति उधोग लगाना चाहता है तो सरकार अलवर,जयपुर,अजमेर,कोटा,उदयपुर, झालावाड़ में ही लगवाती है। मरुप्रदेश का शेखावाटी इलाके को डार्कजोन बनवा दिया गया,कुँवा खोद नही सकते व शेखावाटी नहर के लिए 2000 करोड़ रुपये नही जो कागजो में दबी है। जयपुर में हजारों करोड़ लगाकर मेट्रो ट्रेन चला दी,BRTS कॉरिडोर बना दिए व गंदे गटर नाले के सौंदर्य करण के नाम पर हजारों करोड़ लगाकर अमानीशाह नाले को द्रव्यवती नदी बना दिया। मारवाड़ की गंगा लूणी नदी आज अपनी अंतिम सांस गिन रही है जिसको केमिकल फेक्ट्रियो के जहर से दूषित कर दिया।
मरुप्रदेश वासियों के लिए जयपुर के विद्याधर नगर में एक ट्रॉमा सेंटर अस्पताल था जिसे सरकारो ने प्राइवेट लोगो को बेच दिया। आज श्रीगंगानगर से लेकर जयपुर तक के हाईवे पर एक भी बड़ा सरकारी अस्पताल नही। स्मार्ट सिटी में भी मरुप्रदेश के 13 जिलों में से एक भी जिला नही लिया गया। जयपुर व उसके 125 किमी. करीबी अजमेर को स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया। मरुक्षेत्र को तो सजा के तौर पर पहचाना जाता है। बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी ने शिक्षा के लिए अपनी खरबो रुपये की इमारतें सरकार को 1000₹ किराए पर दे दी ताकि यहां के बच्चे शिक्षा ले सके पर सरकार आदेश देती है कि कॉलेज व विश्व विद्यालय चलाने के लिए फीस बढ़ाओ व लो। पूरे प्रदेश में प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। आज बीकानेर एशिया का सबसे बड़ा गांव बनकर रह गया।
मरुप्रदेश के इलाके टर्सरी युग का लिग्नाईट कोयला उत्पादन होता है जिसमें पूरे भारत में उड़ीसा के बाद हमारा दूसरा स्थान है। कोयले से बिजली उत्पादन होता है पर हमारे किसान व आवाम को भारत की सबसे महंगी बिजली मिलती है। मरुप्रदेश के बाड़मेर जिले में देश का 27% तेल,पेट्रोलियम प्रदार्थ व महंगी गैस का उत्पादन होता है जिससे सन 2009 से लेकर अब तक केंद्र सरकार को 68 हजार करोड़ व राज्य सरकार को 38 हजार करोड़ रुपये मिल चुके। वर्ष 2022 तक यह उत्पादन सकल घरेलू का 50% होगा। केंद्र सरकार को आज भी रोजाना 50 करोड़ का राजस्व कमाती है लेकिन दिल्ली,हरियाणा,गुजरात,मध्यप्रदेश, पंजाब से महंगा तेल,पेट्रोल,गैस हमारे नागरिकों को मिल रही है।